तो दोस्तों आप सभी विंध्यवासिनी देवी के बारे में तो जानते ही होंगे, और हो सकता है कि आप सभी उनकी पूजा भी करते हों। लेकिन अगर आप उन्हें नहीं जानते हैं और उनकी पूजा नहीं करते हैं, तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के बाद आपको उनके महिमा के बारे में पूरी जानकारी हो जाएंगी। क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको यह तो बताएंगे ही कि विंध्यवासिनी देवी कौन है, इसी के साथ साथ हम आपको यह भी बताएंगे कि विंध्यवासिनी किसकी कुलदेवी है, और आपको यह भी बताएंगे कि आखिर विंध्यवासिनी देवी का जन्म कब और कहां हुआ था, और आखिर उनका नाम विंध्यवासिनी क्यों पड़ा। तो इसलिए Vindheshwari Chalisa जानने के लिए इस आर्टिकल में लास्ट तक बने रहे, तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते है।
विंध्यवासिनी देवी का जन्म कैसे हुआ था?
अगर बात करें कि आखिर विंध्यवासिनी देवी का जन्म कैसे हुआ था, तो हम आपको बता दें कि विंध्यवासिनी देवी ने माता यशोदा और नंद जी के घर में ही एक पुत्री के रूप में जन्म लिया था, और आपको यह तो मालूम ही होगा कि यह भविष्यवाणी की गई थी कि देवकी का आठवां पुत्र ही कंस का वध करेगा। इसलिए वासुदेव जी ने अपने आठवें पुत्र श्री कृष्ण जी को कंस के हाथों से बचाने के लिए रात में यमुना नदी के पार करके नंद जी एवं यशोदा माता के घर में छोड़ दिया था और वहां से उनकी पुत्री यानी कि विंध्यवासिनी देवी को मथुरा ले आए थे। जब यह बात कंस को पता चली, तो वह देवकी के आठवें पुत्र को मारने हेतु कारागार में पहुंचा और जैसे ही उसने उस कन्या को मारने की कोशिश की, वह कन्या कंस के हाथ से छूटकर आकाश की ओर जाने लगी, और अपने दिव्य रूप में आकर कंस को यह बताया कि देवकी का आठवां पुत्र ही उसके मृत्यु का कारण बनेगा। उसके बाद वह कन्या यानी की साक्षात विंध्यवासिनी देवी पुनः अपने निवास स्थान पर चली गई यानी कि देवी विद्यांचल पर्वत पर चली गई।
विंध्यवासिनी देवी किसकी कुलदेवी है?
तो दोस्तो अपने यह तो जान लिया कि आखिर विंध्यवासिनी देवी का जन्म कब और कहां हुआ था। तो क्या आपको यह मालूम है कि विंध्यवासिनी देवी किसकी कुलदेवी है? अगर आपको यह नहीं मालूम है तो आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि विंध्यवासिनी देवी नागवंशी राजाओं की कुलदेवी है। हम आपको बता दें कि विंध्यवासिनी देवी का सबसे प्रसिद्ध मंदिर मिर्जापुर में स्थित है, और इस मंदिर के 1 किलोमीटर पूर्व गंगा नदी के दक्षिण तट पर एक नाग कुंड स्थित है, और यह नाग कुंड एक रास्ता है जो कि पाताल लोक में जाता है, और कहा जाता था कि पहले के समय में नागवंशी राजाओं के द्वारा पताल लोक से इस रास्ते में आना-जाना किया जाता था, और उस समय से ही विंध्यवासिनी देवी नागवंशी राजाओं के द्वारा पूजित रही है यानी कि उनकी कुलदेवी रही है।
विंध्यवासिनी माता का नाम विंध्यवासिनी क्यों पड़ा।
तो दोस्तों अब तो आपने विंध्यवासिनी माता के जन्म और उनके मंदिर के बारे में भी जान लिया है। तो क्या आपको पता है कि आखिर विंध्यवासिनी माता का नाम विंध्यवासिनी क्यों पड़ा। अगर नहीं तो हम आपको बता दें कि विद्यांचल पर्वत के कारण है इनका नाम विद्या वासिनी पड़ा, जिसका अर्थ होता है विद्य में निवास करने वाली, और हम आपको बता दें कि जन्म के पश्चात माता ने विद्य पर्वत पर ही रहने का फैसला किया था इसलिए उन्हें विंध्यवासिनी के नाम से जाना जाता है।
तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने आपको विंध्यवासिनी देवी के बारे में बताया है। तो अब जब आप विंध्यवासिनी देवी के बारे में जान ही चुके हैं, तो अब आप पूरी जानकारी के साथ विंध्यवासिनी देवी की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि विंध्यवासिनी देवी अपने भक्तों से बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।